Tuesday 11 July 2017

Long Small reactions story in hindi



'साहित्य वैभव' एक सुन्दर और परिपक्व प्रकाशन लगा। चित्रकला, फोटोग्राफी और मुद्रण आदि में जिसे कहा जाता है जो इसमें उत्कृष्टï है। यह एक सच्चाई है, औपचारिकता नहीं है। मैं यह भी मानता हूॅं कि आप भी अपनी पत्रिका को सजाने-सँवारने में पूरी कल्पना लगा देते होंगे। कभी आपसे मिला नहीं हूँ अत: आपके व्यक्तित्व को जानने का अवसर नहीं आया- साहित्य वैभव के माध्यम से जानने का अवसर एक उपलब्धि है। नक्सलवाद और उससे जुड़े विचारों से अवगत होने के लिए सदैव सजग रहा हूँ और यह भी जानता हूँ कि चारू मजुमदार ने यह आन्दोलन क्यों चलाया- चारू का उद्देश्य था जो धनाढ्ïय लोग हैं वे हमें एक म$जदूर के रूप में ही अपनाते हैं और कुछ नहीं, शोषण कर चोकर को फेंक देते हैं। चारू की मृत्यु अदालत ले जाते समय हो गई, हम सब मौन रहे। उस आन्दोलन को कुछ तथाकथित असामाजिक और विदेशी तत्वों ने अपने हाथ में ले लिया ओर बंगाल को आग में झोंक दिया जो कालान्तर में सारे देश में फैल गया जो निश्चित ही विदेशी तत्वों का भारत को कम$जोर करने का एक मन्तव्य है।

मैं आपके सम्पादकीय का समर्थन करता हूँ, नेहरू ने एक बार कहा था, हम बाहरी श्क्तियों से सामना तो कर लेते हैं किन्तु देश के अन्दर छुपे दुश्मनों से कैसे लड़ें।

प्रवीरचन्द्र भंजदेव को किस प्रकार मारा गया और उसे मारने के लिए उस समय के मुख्यमंत्री और उस समय की सरकार और सत्ता में बैठी सरकार का पूरा विवरण उसी समय सरिता (दिल्ली प्रेस) ने एक विशेषांक निकाला था। सम्भव है मेरे संग्रह में हो, कभी मिला तो विवरण दूँगा।दुष्यंत कुमार को सब लोग त्यागी कहा करते थे, मैं दुष्यंत कुमार कहा करता था और आज यह स्थिति है सारे समाज में त्यागी शब्द का लोप हो गया है। उनके जीवन के अधिकांश छायाचित्र मेरे खींचे हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंण्डिया के प्रकाशन ''सारिकाÓÓ जो पहले सुचित्रा के नाम से प्रकाशित हुई थी में देखा जा सकता है। दुष्यंत कुमार ने जो यह कविता लिखी थी एक दस्तावेज है अपने आप को व्यवस्था के विरुद्घ बोलने के लिए आगे आने का। बाद तो कुछ ऐसा हुआ कि सत्ता लोलुप समाज के लोग उनकी कविताओं का अर्थ शासन तक पहुँचाते रहे।

- नवल जायसवाल, प्रेमन, बी 201, सर्वधर्म, कोलार रोड, भोपाल-462042

पत्रिका का आमुख सज्जा एवं भीतर के पृष्ठïों पर रेखाचित्रों का प्रयोग अच्छा हुआ है। एक-दो रेखाचित्र कहानियों में भी देना चाहिए था। गिरीश बख्शी की कहानी 'बदलावÓ एक प्रेरक रचना है। सकारात्मक सोच को उजागर करती यह कहानी बूढ़े व्यक्ति की बेहतरी के लिए आवश्यक संदेश दे जाती है। संपादकीय के तहत दुष्यंत कुमार की कविता पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया। आपके विचारों को रेखांकित करती है उनकी कविता। हिंदी को अपाहिज समझनेवालों के लिए डॉ. रवि शर्मा द्वारा लिखा गया लेख हिन्दी अपनाइये महत्वपूर्ण लगा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के कारागर जैसे संस्मरण प्रत्येक अंक में दें। कविताओं के चयन में थोड़ी सतर्कता बरतें। वैसे केशव दिव्य, नीलिमा कौशल, स्निग्धा की कविता एवं मुकुंद की $ग$जलें प्रभावित करती हैं। साहित्यिक समाचारों को कुछ कम करे, एक साहित्यिक भेंटवार्ता परिचर्चा भी प्रकाशित करें। आपने लघुकथा को स्थान देना आरंभ किया है, धन्यवाद लघु पत्रिकाओं के बीच 'साहित्य वैभवÓ अपना अलग पहचान बना रही है।

-सिद्घेश्वर, अवसर प्रकाशन, पोस्ट बॉक्स नं. 205, करविगहिया, पटना- 800001 (बिहार)

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