Tuesday 11 July 2017

भाइयों में आज सुनाऊं, सप्रेजी की अमर कहानी



माधवराव के नाम से जुड़ी, हिंदी की यह जन्मकहानी
19 जून 1871 का पिथौरा में जन्म हुआ
कोडोपंत जी ने बच्चे को माधवराव नाम दिया
ओल्ड सी पी एंड बेरार में हिंदी सूर्य का उदय हुआ
1881 में माधव का दाखला अंग्रेजी स्कूल में हुआ
मिडिल में सर्वोच्च 7 रु. छात्रवृत्ति थी पानी
भाइयों मैं आज सुनाऊं, सप्रेजी की अमर कहानी
भारतियों को तब अंग्रेजी पढ़ाते दास बनाने को
लोग भी बच्चों को भेजते, भविष्य बनाने को
1890 में माधव ने एन्ट्रेस पास कर वजीफा पाया
साथ ही 18 वर्ष की आयु विवाह बंधन में पाया

1896 में उनके इंटर पास की खबर थी आनी
सुना रहा हूं, क्रमवार, सप्रेजी की अमर कहानी
कलकत्ते में जाकर ली, 1898 में बी ए की उपाधि
आकर हिंदी की सेवा में लग गया माधव
प्रथम हिंदी कहानी का लेखक कहाया माधव
सन 1900 की जनवरी में, पेंडरा के मासिक की कहानी
सुन लीजिए छत्तीसगढ़ मित्र के जन्म की कहानी
हर अंक विविधता पूïर्ण, कहानी थी कविता थी
लेख था, जीवन थी, पुस्तक समीक्षा भी थी
सब विधा युक्त था, संपादक सप्रेजी थे
छत्तीसगढ़ मित्र को तीन वर्ष सम्हाले सप्रेजी थे।

1906 में हिंदी ग्रंथमाला के प्रकाशन की ठानी
सुना रहा हूं, क्रमवार सप्रेजी की अमर कहानी
बाल गंगाधर तिलक का केसरी मराठी में था
पूरे भारत में विचार फैलाने हिंदी करना जरुरी था
1907 में नागपुर से हिंदी में केसरी प्रारंभ हुआ
इसी कारण लल्ली प्रसाद पांडेय जी से संपर्क हुआ
केसरी के अनुवादक को जेल की हवा थी खानी
1908 के समय की है यह सप्रेजी की अमर कहानी
मराठी के अद्भूत ग्रंथों का अनुवाद किया

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