Thursday 10 August 2017

Kauwa Aur Sone Ka Haar - कोआ और सोने का हार

जब एक बार कोयल बच्चों को जन्म दे रही होती है इसलिए वह कोए को बाहर भेज देती है. फिर थोड़ी देर बाद में कोए को अंदर बुलाती है. अंदर आते ही वह देखता हैं कि कोयल ने 5 अंडे दिए हैं. यह देखकर वह बहुत खुश होता है और कोयल से कहती है कि आप जाओ मेरे लिए खाना लेकर आओ मुझे बहुत जोर से भूख लगी है.



वह कहता है ठीक है मैं अभी आता जाता हूँ और जब कोआ खाना लेकर वापस लौट रहा होता है तो उसे रास्ते में कुछ शिकारी दिखाई पड़ते हैं उन्हें देखकर वह परेशान हो जाता है. सोचता है यह लोग हमें शांति से जीने नहीं देंगे. वह जंगल के सारे पक्षी पक्षियों को उठाता है. शिकारी के बारे में सुनकर सभी पशु पक्षी परेशान हो जाते हैं और सुरक्षित जगह की ओर जाने लगते हैं.

कोआ जंगल के जानवर को बताता है कि मेरी पत्नी ने 5 अंडे दिए हैं. जल्दी मैं पिता बनने वाला हूं और फिर वह कहता है जल्दी करो नहीं तो वे शिकारी यहां तक पहुंच जाएंगे. तब भी बिल में बैठा एक साप उन दोनों की बात सुन लेता है और कोए के घर की तरफ बढ़ने लगता है. कोयल चिल्लाती है बचाओ कोई है. कोयल लोगों से सहायता मांगती है. कोआ जब वहा आता है और देखता है कि उसे सारे अंडों को फोड़ दिया वह कोयल से पूछता है कि सारे अंडे फूट कैसे गए?

वह बताती है कि साप ने यह सब किया हैं. कोया कहता है की मैं उसे सबक सिखाऊंगा. मैं उसे नहीं छोडूंगा. तभी वहां पर लोमड़ी आती है और कहती है कल तो तुम घर पर खाने के लिए आने वाले थे. कोआ कहता है कि हमारे सारे अंडों को साप नेने तोड़ दिया. हमने सब बच्चे को खो दिया.

जब मैं कल तुमसे मिला तभी ऐसा हुआ. लोमड़ी कहती है कि यह सब मेरी गलती है. कल तुमने मेरे बच्चों को बचाया लेकिन तुमने अपने बच्चों को खो दिया. तुम बताओ मैं तुम्हारी सहायता कैसे कर सकती हूं? मुझे उससे बदला लेना है. कोई तरीका बताओ चाहे मेरी जान चली जाए लेकिन मैं उसे बदला लेकर रहूंगा.

लोमड़ी कहती है कल तुम मेरे घर पर आओ मैं कुछ तरकीब सोच रही हूं. लोमड़ी कोआ को बताती है कि तुम्हें एक लड़की जो की राजकुमारी है उसके आभूषण लेकर आने हैं. जब वह नहाने जाती है तो वह अपने आभूषणों को उतर देती हैं. उसी समय तुम उन्हें ले आना. कोआ ऐसा ही करता .है जब वह रानी नहाने जाती है तो वह आभूषणों को चोच में दबाकर ले आता है और सांप के बिल के ऊपर रख देता है. रानी के सैनिक उन्हें धुन्ध्ते सांप के बिल तक आते हैं और देखते हैं कि सांप को मारे बिना वह आद्भुशन नहीं मिल पाएगा. इसलिए वे उसे मार देते हैं और वह गहने ले जाते है इस तरह से साप को अपनी करतूत की सजा मिल जाती है.

Wednesday 2 August 2017

30+ Best Attitude Status in Hindi 2 Line for Whatsapp



Duniay mai sabhi logo ka alag alag attitude hota hian. Kuch logo mai postive attitude hota hai aur kuch main negative attitude. Positive attitude wale log apko bahut kam milenge. Aise log har problem mai ek opportunity dikhti hain. Wahi negative soch wale log har problem se dur bhagne ki koshish karte hai. Soch ka yahi antar ek admi ko successful aur dusre ko unsuccessful banata hain.

Agar apko kisi ka attitude acha ya bura lagta hai to ap usey kayi tarike se compliment de sakte hain yar koi remark de sakte hain. Lekin esey quotation ke dwara kahna bahut hi rochak hota hain kyunki esse sunne walo ko bura bhi nhi lagta aur hamari bat durse tak pahuch bhi jati hain.

Attitude quotes in hindi ka use karna esliye bhi acha hain ki kyunki ye normal routine ki language se alag hoti hain. Esse ye sunne mai bhi achi lagti hain.

Aaeye es post main post kuch aise hi post Attitude quotes in hindi padhte hai. Ap ye quotes apne friends, relative, cousins, aadi ko bhi send kar sakte hain.

30+ Best Attitude Status in Hindi 2 Line for Whatsapp


Read more: Attitude Status in Hindi for Whatsapp and Facebook

Don’t hate me bcoz i’m pretty hate me bcoz ur bf thinks so.

Na Shauk Deedar Ka… Na fikar judai ki… Bade Kush Naseeb Hain Vo log jo ishq Nahi Karte…

Status for Save Nature

मैं अपनी सुबह शाम यूँ ही गुजार लेता हूँ, जो भी ज़ख्म मिलते हैं कागज़ पे उतार लेता हूँ…

After getting drunk, bachelor of technology turns into master of philosophy.

Don’t u wish ur gf was hot lyk me.

इन्हें पूरा करने को हकीकत की जमीन पर आना ही पड़ेगा..”

Marathi Attitude Status

Whatsapp Love Status 2 line

कौआ करता रहा शोर, न जाने किस गुमान पर..

Life is too short. Don’t waste it removing pen drive safely.

Attitude Status in English

ज़ज्बा होता है कुछ कर गुजरने का, यू हीं नहीं लोग मिसाल बनते हैं..

One and Two line Status

रहते हैं आस-पास ही, लेकिन साथ नहीं होते…

The most painful goodbye’s are those which were never said and never explained.

Too busy to update a status. 0_o

Don’t tease me if u cant please me.

जिनकी याद में हम दीवाने हो गए, उनकी नज़र में हम पुराने हो गए…

पर्यावरण की सुरक्षा भी हो जायेंगी…

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My silence/smile is just another word for my pain.

अब कहाँ ज़रुरत है हाथों में पत्थर उठाने की, तोड़ने वाले तो दिल जुबां से ही तोड़ दिया करते हैं…

Whatsapp Status 2 line funny DP

“अगर सो रहे हो तो जाग जाओ,

मिट्टी का बना हूँ… महक उठूंगा… बस तू एक बार बेइँतहा ‘बरस’ के तो देख…

याददाश्त का कमज़ोर होना… बुरी बात नहीं है जनाब….

Ek alag si pehchaan banane ki aadat hai humein,

रूलाया ना कर हर बात पर ए जिन्दगी, जरूरी नहीं सबकी किस्मत में चुप कराने वाले हों….

खामोश रही वो तितली, थे जिसके रंग हज़ार…

Attitude is a little thing that makes a big difference.

Love me or hate me I’m still gonna shine.

When I die, I want my grave to offer free Wifi so that people visit more often.

कोशिश तो बहुत की समझदार बनने की…

Zakhm ho jitna gehra utna muskurane ki aadat hai humein…

Jungle ka sanata… Sher ki mauzudgi baya karta hai.

अब मुझे इश्क़ की नज़र नहीं लगेगी !!!

Bas “Tarika” or “Tevar” Hamare vilen wale hai..!!

किसने किस को छोडा क्या फर्क पड़ता है.? हाँ तन्हा तुम भी हुए और हम भी….

लेकिन खुशी हमेशा पागलपन करने से ही मिली…

Please Wait… My status is loading…

All good girls and boys go to heaven that’s why I wasn’t invited.

Kutte bhonkte hai.. Zinda hone ka ehsas dilane k liye,

कुछ लोग जलते हैं मुझसे, बस खाक नहीं होते…

Kam to hum HERO wala karte hai..

Kauwa karta raha shor, Na jane kis guman par…

इश्क है या इबादत अब कुछ समझ नहीं आता… एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता…

बड़े बेचैन रहते है वो लोग… जिन्हे हर बात याद रहती

Funny Whatsapp DPVery Funny Whatsapp DP - dp is loading

High Attitude Status in Hindi

ताल्लुक कौन रखता है किसी नाक़ाम से लेकिन, मिले जो क़ामयाबी सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं

I don’t have dirty mind, I have sexy imagination.

ख्वाबो की दुनिया अगर तूमने देख भी ली तो,

My room + internet connection + music + food – homework = perfect day.

Best WhatsApp Status one and two line

If I delete your number, you’re basically deleted from my life.

When I miss you I re-read our old conversations and smile like an idiot.

Whatsapp Status 2 line funny DP

अपनी महबूबा के नाम का एक पेड़ लगा दीजिए ।

Khamosh rahi wo titli, The jiske rang hajar…

उसके खत जला कर, राख़ का सुरमा आँखों में लगा लिया,

महबूबा का नाम पेड़ पर खुरदने से बहेतर है… कि

One line Attitude Status

चलो मर जाते हैं तुम पर…!! बताओ दफ़न करोगे सीने में…?

Apko Attitude Quotes in Hindi kaise lagi hame comment karke bataye. 

Saturday 15 July 2017

Subah Jaldi Uthane Ke 5 Fayade

क्या यार प्रिया मलिक टाइप करें देखने के लिए एंड पाली टू राइस मेक अ मैन हेल्थी वैल्यू एंड वाइफ यह लाइन बन रहा है लाइफ में सुन चुके होंगे आजकल की इस भागती दौड़ती जिंदगी में हम इतने ज्यादा बिजी हो गए हैं कि हमें रात में सोने का टाइम भी सही नहीं होता है ना ही सुबह उठने का टाइम होता है तो हमें अपनी दिनचर्या लाइफस्टाइल को सुधारना होगा अगर हम अपने सारी चीजों में अच्छा होना चाहते हैं अपनी हेल्थ को लेकर गलत को लेकर और डेवलपमेंट रहा हूं अपने आपको वह पांच अनोखे लेकिन जो आपके लिए बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है पहला है मानसिक विकास यानि मेंटल डेवलपमेंट ऑफ फिटनेस सुबह के 4:00 ताजी हवा मिलती है साथ ही सूर्य कीपैड वीडियो माइंड कहां होती है उठकर एक्सरसाइज वाकिंग जोगिंग स्विमिंग कर सकते हैं उसका भी आपको टाइम मिल जाता है साथ ही ऐसे में सुबह के समय संचार होता है एनर्जी आती है जो पूरे दिन बनी रहती है जिसकी वजह से आपका शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा मिलता है साथिया बहुत ज्यादा हेल्प कहां है अपडेट रहना बहुत जरूरी होता है क्योंकि आपके देश में क्या चल रहा है आपके शहर में क्या चल रहा है पूरी तरीके से इंफॉर्मेशन आती है और हमारे हमारी बॉडी में एनर्जी बनी रहती है हमें महसूस नहीं होती है सुबह उठने के कारण हमारा वातावरण बिल्कुल शुद्ध शांत होता है जो हमारे मेंटल डेवलपमेंट के साथ साथ फिजिकल यानी बॉडी डेवलपमेंट के लिए भी जरूरी है

Tuesday 11 July 2017

about al habib in hindi


अलविदा हबीब साहब


मुंह के थोड़े तिरछे कोण से लगा पाइप, अनूठे अंदाज मे निकलता धुंआ, सिर पर कैप, देखने मे थोड़ा बूढ़ा शरीर पर आवाज ऐसी बुलंद कि नौजवान शरमा जाएं और मंच पर जब यह शख्स प्रस्तुति के लिए उतरे तो तमाम कलाकारों पर ऐसा भारी पड़े कि दर्शक सिर्फ उसकी एक झलक के लिए उमड़ पड़ते थे ।

हिन्दुस्तान मे इस शख्स को हबीब तनवीर के नाम से लोग जानते हैं और थियेटर से जिनका थोड़ा भी परिचय है, उनके लिए वे सदैव आदर के पात्र हबीब साहब हैं पिछले कुछ दिनों से हबीब तनवीर की तबीयत की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी लेकिन उसके प्रशंसकों को उम्मीद थी कि नाटकीय अंदाज में उनकी वापसी हो जाएगी। पर जिदंगी किसी नाटक से कम नहीं है जिसकी भूमिका खत्म हो गई, वह लौटकर नहीं आता ।

उनके नाटकों की धूम देश-विदेश में एक समान रही । किसी महान हस्ती के अवसान पर उसकी जिंदगी भर की उपलब्धियों पर चर्चा होना लाजिमी है, ऐसे में जब हबीब तनवीर के नाटकों बात हो और यह सोचा जाए कि किस नाटक का उल्लेख पहले करें, किसे सबसे प्रसिध्द मानें, तो चयन करना दुरूह कार्य प्रतीत होता है क्योंकि उनका हर नाटक कला का अनुपम नमूना होता था। वे उन लोगों मे से नहीं थे जो जनवादी चोला ओढ़कर सरकारी अनुदान पर क्रांति के नाटक करने का ढोंग रचते हैं उन्होंने थियेटर को सचमुच क्रांति का माध्यम बनाया था।

कुछ यादें : कुछ पुष्प


हबीब तनवीर
इप्टा की परम्परा को आगे बढ़ाया

दिसम्बर सर्दियों के दिन थे। कनाट प्लेस में हल्की-हल्की बारिश हो रही थी। यह 1959 की बात है। सुरेश अवस्थी ने बताया ये हबीब तनवीर है। मैंने देखा सिर पर एक टिपिकल टोपी के साथ वे रेनकोट पहने हुए थे। पहली मुलाकात इस तरह हुई। कु छ समय पहले ही वे इंग्लैण्ड से वापस आए थे। उस समय मोहन राकेश भी साथ थे।

यह बात 1959 की है, फिर तो गोष्ठियों में नेमि जी, सुरेश अवस्थी, मोहन राकेश, कमलेश्वर, राजेंद्र यादव, प्रयाग शुक्ल के साथ हबीब जी से अक्सर भेंट होने लगी। जोधपुर में इप्टा का सम्मेलन 1970 में हुआ था। उसमें हम तीन दिन साथ-साथ रहे।

उनको बहुत नजदीक से जानने और समझने का अवसर मिला। जोधपुर में उन्होंने ठेठ छत्तीसगढ़ी गीत सुनाए, बहुत अच्छा गाते थे हबीब तनवीर, मैंने आगरा बाजार नाटक सबसे पहले दिल्ली में देखा था। उसी समय 1960 में अल्का जी आए थे। अल्का जी का थियेटर और हबीब जी का थियेटर दोनों साथ-साथ निकले थे। एक ओर अल्का जी शेक्सपीयर से और इंग्लैण्ड से परम्परा लेकर आए थे। दूसरी ओर हबीब तनवीर ने इप्टा की परम्परा को आगे बढ़ाया। - नामवर सिंह

दिग्गज रंगसाधक का जाना एक अध्याय का अंत


सारी दुनिया में अपने गुण-धर्म को रंगमंच को नया मुहारवा देने वाले पद्मभूषण हबीब तनवीर का निधन बिरादरी व आमजन की नजर में एक अध्याय का अंत है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तनवीर के निधन पर जारी शोक संदेश में कहा है कि उनके निधन से हिंदी और छत्तीसगढ़ी रंगमंच के एक अत्यंत सुनहरे युग का अंत हो गया।

संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू ने पद्मभूषण से सम्मानित सुप्रसिध्द रंगकर्मी एवं नाटय निर्देशक श्री तनवीर के निधन पर गहन शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्री तनवीर ने छत्तीसगढ़ की समृध्द कला को रंगमंच के माध्यम से विश्व में ख्याति दिलाई। गर्व की बात है कि श्री तनवीर रायपुर के निवासी थे।

रायपुर के हबीब तनवीर


खामोश हुए रंगमंच के फनकार

रायपुर की साँस और छत्तीसगढ़ की धड़कन हबीब साहब के दिल में बसती थी। अपने शहर रायपुर से भले ही दूर रहे हों, लेकिन इसकी याद हमेशा उनके साथ होती थी। परिवार की खैरियत हो या सहकर्मियों की चिंता, हबीब साहब कायम रखे हुए थे। अपनी जन्म भूमि से बेइंतहा मोहब्बत के साथ शहर में खेले गए नाटकों के मंच को भी वे पूरी शिद्दत से प्यार करते थे।

अपनी राजधानी के इस लाड़ले और प्रतिभाशाली कलाकार की दुनिया से विदाई पर पूरा शहर मानो गुमसुम सा हो गया है। घर में एलबम देखकर उनकी यादों को संजोते रिश्तेदार हो या उनके मार्गदर्शन में काम किए हुए कलाकार, सभी के जेहन में हबीब साहब की यादें ताजा रहेंगी।

रंगमंच के इस मुकम्मल फनकार के रग-रग में रायपुर बसता था। यही कारण है कि दूर जाकर भी अपने शहर से उनकी मोहब्बत हमेशा बरकरार रही। खास होकर भी आम होने की उनकी अदा के सभी कायल थे। उनके हुनर का जादू था कि रंगमंदिर से लेकर साइंस कॉलेज में उनके खेले गए नाटक दर्शकों के दिल में बस गए।

सप्रेजी के जीवन की आधारशिलाएं



सप्रे जी के समग्र जीवन पर एक विहंगम दृष्टिï डालने से ऐसा लगता है कि उन पर तीन महानुभावों के जीवन-दर्शन का पूर्ण प्रभाव पड़ा था। वे तीन महानुभाव थे विष्णुशास्त्री चिपुलणकर, बाल गंगाधर तिलक और गोपाल गणेश आगरकर। इनमें से चिपलुणकर तो हाई स्कूल की अध्यापकी छोडक़र मराठी भाषा की सेवा में हो गए और इसी उद्देश्य से मराठी भाषा में एक निबंध माला का प्रकाशन करने लगे। उन्होंने मराठी भाषा को प्राणवान बनाने के लिए अथक प्रयत्न किया और स्वदेश प्रेम की भावना भरने के लिए चोटी की पसीना एड़ी तक बहने दिया। दूसरे दो सज्जन-तिलक और आगरकर, चिपलुणकर के घनिष्ठï सहयोगी थे और देश के प्रति कर्तव्य पालन में ही अपने जीवन की सार्थकता मानते थे।

इस त्रिमूर्ति ने जिस प्रकार स्वार्थ का त्याग कर अविश्रांत परिश्रम करके मराठी भाषा को ओजस्वी, सामथ्र्यवान और संपन्न बनाया उसी प्रकार राष्टï्रभाषा हिंदी को भी सशक्त और सर्वगुण संपन्न, दोष रहित बनाना आवश्यक है- यह संकल्प सप्रे जी ने मन ही मन कर लिया। उन्होंने अपनी कार्य प्रणाली की रूपरेखा भी उसी अवसर पर निश्चित कर ली कि पहले बी.ए. तक शिक्षण प्राप्त कर डिग्री प्राप्त कर ली जाए जिससे उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सहायता मिले और कोई रुकावट न हो। वे चाहने लगे कि शिक्षा का निवियोग निरपेक्ष सेवा में हो, कोई बदला पाने की भावना न रहे। इससे उन्हें जो सुख मिलेगा वही सच्चा सुख है और सुख प्राप्त करना ही प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अंतिम लक्ष्य रहता है।

सप्रे जी की अभिलाषा : सप्रे जी ने हिंदी भाषा के संबंध में अपने संकल्प को सन् 1924 में देहरादून में आयोजित अखिल भारत हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के आसन से इस प्रकार प्रकट किया था- ‘‘मेरे हृदय में राष्टï्रभाषा का भाव पैदा हुआ- अनुभव किया कि इस विशाल देश में एक ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे सब प्रांतों के लोग अपनी राष्टï्रभाषा मानें और वह हिंदी भाषा को छोडक़र अन्य कोई नहीं है। मैं महाराष्ट्रीय हूं परंतु हिंदी के विषय में मुझे उतना ही अभिमान है जितना किसी हिंदी भाषी को हो सकता है। मैं चाहता हूं कि इस राष्टï्रभाषा के सामने भारत वर्ष का प्रत्येक व्यक्ति वह यह भूल जाए कि मैं महाराष्टï्रीयन हूं, बंगाली हूं, गुजराती हूं या मदरासी हूं। ये मेरे पैंतीस वर्षों के विचार हैं और तभी से मैंने इस बात का निश्चय कर लिया है कि मैं आजीवन हिंदी भाषा की सेवा करते रहूंगा। मैं राष्ट्रभाषा को अपने जीवन में ही सर्वोच्च आसन पर विराजमान देखने का अभिलाषी हूं। ’

हिन्दी के समालोचकों द्वारा भुला दिए गए



पहले समालोचक : माधवराव सप्रे
सुशील कुमार त्रिवेदी

दोष किसका है, कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन स्थिति यही है कि एक मराठी भाषी जीवन भर निष्ठïा तथा एकाग्रता से हिन्दी की सेवा करता रहा, और हिंदी के इतिहासकारों ने उसे भुला दिया। जिस व्यक्ति ने हिंदी में समालोचना-लेखन की परंपरा की नींव डाली, सशक्त निबंधों की रचना की और कई महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया, उसी व्यक्ति पं. माधवराव सप्रे का नाम पंडित रामचंद्र शुक्ल और उनके ग्रंथ को आधार बना कर ‘नकल नवीस इतिहासकार’ बनने वालों को याद नहीं रहा, यह एक भूल है या साहित्य-इतिहासकारों की साधन-दरिद्रता है?

पिछड़े इलाके का अगुआ

मध्यप्रदेश, जो आज भी पिछड़ा माना जाता है, उसी का एक और पिछड़ा इलाका छत्तीसगढ़ सप्रेजी की कर्मभूमि रहा, इसी क्षेत्र में उन्होंने आज से लगभग 75 वर्ष पूर्व हिन्दी आंदोलन शुरू किया था। उन्हें छत्तीसगढ़ की सोंधी मिट्टïी से इतना ममत्व था, इतना अनुराग था कि उन्होंने अपने साहित्यिक मासिक पत्र का नाम ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ रखा। यह वही छत्तीसगढ़ मित्र है जिसमें सबसे पहली बार हिंदी ग्रंथों की समालोचना प्रकाशित हुई। बनती संवरती रूप लेती हिन्दी में प्रकाशित होने वाले पहले ग्रंथों की पहली समालोचना को लिखने वाले सप्रे जी ही थे।

पेंड्रा (जिला-बिलासपुर) के राजकुमारों को पढ़ाने से मिलने वाले वेतन में से पैसा बचाकर सप्रे जी ने जनवरी 1900 में ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ का प्रकाशन आरंभ किया। पं. श्रीधर पाठक, जिन्हें आचार्य शुक्ल ने ‘सच्चे स्वच्छंदतावाद का प्रवत्र्तक’ माना है, की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों,- ऊजड़ ग्राम, एकांतवासी योगी, जगत सचाई सार, धन-विजय, गुïणवंत हेमंत तथा अन्य, की विस्तृत विश्लेषणात्मक और विवेचनात्मक वैज्ञानिक समालोचना इसी पत्र में पहली बार प्रकाशित हुई। इसी प्रकार मिश्रबंधु तथा पं. कामता प्रसाद गुरु आदि तत्कालीन महत्वपूर्ण साहित्यकारों की कृतियों की समालोचना सप्रे जी ने ही लिखी। इसके अतिरिक्त पं. महावीर प्रसाद मिश्र, पं. कामता प्रसाद गुरु, पं. गंगा प्रसाद अग्निहोत्री, पं. श्रीधर पाठक आदि की रचनाएं प्राय: ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ में प्रकाशित होती रही।

कुछ वर्ष पूर्व एक ख्याति प्राप्त कहानी-मासिक (सारिका) पत्रिका में एक परिचर्चा प्रकाशित हुई, जिसमें माधवराव सप्रे द्वारा लिखित ‘एक टोकरी भर मिट्टïी’ को हिंदी की पहली मौलिक कहानी बताया गया था। यह कहानी ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ में सन् 1901 में प्रकाशित हुई थी।

अर्थाभाव के कारण ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ का प्रकाशन दिसंबर, 1902 में बंद हो गया, पहले एक साल तक इसका मुद्रण रायपुर कैयूमी प्रेस में हुआ, किंतु बाद में यह नागपुर के देशसेवक प्रेस में मुद्रित होता था।

Long Small reactions story in hindi



'साहित्य वैभव' एक सुन्दर और परिपक्व प्रकाशन लगा। चित्रकला, फोटोग्राफी और मुद्रण आदि में जिसे कहा जाता है जो इसमें उत्कृष्टï है। यह एक सच्चाई है, औपचारिकता नहीं है। मैं यह भी मानता हूॅं कि आप भी अपनी पत्रिका को सजाने-सँवारने में पूरी कल्पना लगा देते होंगे। कभी आपसे मिला नहीं हूँ अत: आपके व्यक्तित्व को जानने का अवसर नहीं आया- साहित्य वैभव के माध्यम से जानने का अवसर एक उपलब्धि है। नक्सलवाद और उससे जुड़े विचारों से अवगत होने के लिए सदैव सजग रहा हूँ और यह भी जानता हूँ कि चारू मजुमदार ने यह आन्दोलन क्यों चलाया- चारू का उद्देश्य था जो धनाढ्ïय लोग हैं वे हमें एक म$जदूर के रूप में ही अपनाते हैं और कुछ नहीं, शोषण कर चोकर को फेंक देते हैं। चारू की मृत्यु अदालत ले जाते समय हो गई, हम सब मौन रहे। उस आन्दोलन को कुछ तथाकथित असामाजिक और विदेशी तत्वों ने अपने हाथ में ले लिया ओर बंगाल को आग में झोंक दिया जो कालान्तर में सारे देश में फैल गया जो निश्चित ही विदेशी तत्वों का भारत को कम$जोर करने का एक मन्तव्य है।

मैं आपके सम्पादकीय का समर्थन करता हूँ, नेहरू ने एक बार कहा था, हम बाहरी श्क्तियों से सामना तो कर लेते हैं किन्तु देश के अन्दर छुपे दुश्मनों से कैसे लड़ें।

प्रवीरचन्द्र भंजदेव को किस प्रकार मारा गया और उसे मारने के लिए उस समय के मुख्यमंत्री और उस समय की सरकार और सत्ता में बैठी सरकार का पूरा विवरण उसी समय सरिता (दिल्ली प्रेस) ने एक विशेषांक निकाला था। सम्भव है मेरे संग्रह में हो, कभी मिला तो विवरण दूँगा।दुष्यंत कुमार को सब लोग त्यागी कहा करते थे, मैं दुष्यंत कुमार कहा करता था और आज यह स्थिति है सारे समाज में त्यागी शब्द का लोप हो गया है। उनके जीवन के अधिकांश छायाचित्र मेरे खींचे हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंण्डिया के प्रकाशन ''सारिकाÓÓ जो पहले सुचित्रा के नाम से प्रकाशित हुई थी में देखा जा सकता है। दुष्यंत कुमार ने जो यह कविता लिखी थी एक दस्तावेज है अपने आप को व्यवस्था के विरुद्घ बोलने के लिए आगे आने का। बाद तो कुछ ऐसा हुआ कि सत्ता लोलुप समाज के लोग उनकी कविताओं का अर्थ शासन तक पहुँचाते रहे।

- नवल जायसवाल, प्रेमन, बी 201, सर्वधर्म, कोलार रोड, भोपाल-462042

पत्रिका का आमुख सज्जा एवं भीतर के पृष्ठïों पर रेखाचित्रों का प्रयोग अच्छा हुआ है। एक-दो रेखाचित्र कहानियों में भी देना चाहिए था। गिरीश बख्शी की कहानी 'बदलावÓ एक प्रेरक रचना है। सकारात्मक सोच को उजागर करती यह कहानी बूढ़े व्यक्ति की बेहतरी के लिए आवश्यक संदेश दे जाती है। संपादकीय के तहत दुष्यंत कुमार की कविता पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया। आपके विचारों को रेखांकित करती है उनकी कविता। हिंदी को अपाहिज समझनेवालों के लिए डॉ. रवि शर्मा द्वारा लिखा गया लेख हिन्दी अपनाइये महत्वपूर्ण लगा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के कारागर जैसे संस्मरण प्रत्येक अंक में दें। कविताओं के चयन में थोड़ी सतर्कता बरतें। वैसे केशव दिव्य, नीलिमा कौशल, स्निग्धा की कविता एवं मुकुंद की $ग$जलें प्रभावित करती हैं। साहित्यिक समाचारों को कुछ कम करे, एक साहित्यिक भेंटवार्ता परिचर्चा भी प्रकाशित करें। आपने लघुकथा को स्थान देना आरंभ किया है, धन्यवाद लघु पत्रिकाओं के बीच 'साहित्य वैभवÓ अपना अलग पहचान बना रही है।

-सिद्घेश्वर, अवसर प्रकाशन, पोस्ट बॉक्स नं. 205, करविगहिया, पटना- 800001 (बिहार)

Kauwa Aur Sone Ka Haar - कोआ और सोने का हार

जब एक बार कोयल बच्चों को जन्म दे रही होती है इसलिए वह कोए को बाहर भेज देती है. फिर थोड़ी देर बाद में कोए को अंदर बुलाती है. अंदर आते ही वह ...